कामों का ढेर

हम सभी के पास कामों के अलग अलग ढेर होते हैं – जवाब देने को ई-मेल, करने को काम, पढ़ने को लेख, इत्यादि।इस ढेर में हमेशा नयी चीज़ें जुड़ती रहती हैं – बनाने को नए पकवान, सुनने को पोडकास्ट और देखने को नयी जघाएँ।दिक्कत यह है की, चाहें हम कितनी कोशिश क्यूँ ना कर लें, जिस गति से चीज़ें इस ढेर में जुड़ती हैं, उतनी जल्दी घटती नहीं।

जो पुस्तक आपने पढ़नी ख़त्म करी अब उसके सारे उद्धरण पढ़ने रहते हैं।अपनी नयी परियोजना ख़त्म करने के बाद उसमें ठीक करने को अनेक चीज़ें होती हैं। जैसे जैसे हम हमारी मृत्यु की तरफ़ बढ़ रहे हैं हमारा समय कम होता जा रहा है, पर हमारे कामों का ढेर घतीय रूप से बढ़ता जा रहा है।ऐसे तो ज़्यादा देर नहीं चल सकता!

the backlog graph
काश मुझे यह दिन बेहतर याद होता

हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं? छटाई करें ? प्राथमिकता का निर्णय लें? या घबराहट में बैठे रहें? मैं इन तीनों सुझावों का एक अस्वास्थ्यकर संतुलन रखने की कोशिश कर रहा हूँ। साथ ही साथ मुझे ज़िंदगी की इस धुन की आदत भी लग रही है। उम्मीद है की मैं जब तक एक्सेल (Excel) व टोदोईस्ट (Todoist) पर नयी सूचियाँ बनता रहूँगा सब ठीक ठाक चलता रहेगा 😅